भारत मे नक्सलवाद या माओवाद फिर एक बार मुख समाचार बन गया है कल छतीसगढ़ के दंतेवाडा के पास मे भारत के अर्ध लश्करी दल हमला कर के कही जवानों की हत्या कर दी गई.और भारत के नेता, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता को एक बार टेलीविज़न पर दिख ने का मौका मिल गया है .और अपनी तीखी मीठी प्रतिक्रिया वो भी मन चाही देने लगे कोई हवाई हमले की बात करते है कोई जमीनी हमले की बात करते है.और भाजपा नेता राजीव प्रताप रुडी ने तो हद कर दी मगर ये समस्या देश मे क्यों सरू हुई है ये बात कोई नहीं करता है समस्या की जड़ क्या है ये बात कोई नहीं करता है जब पुरे छतीसगढ़,ज़रखंड,बिहार,बंगाल,उड़ीसा,आंध्रप्रदेश,कहा और कटने नक्सलवादी को मरोगे जो भारत की २० % आबादी है क्या आबादी को आप आर्मी और हवाई हमले द्वारा साफ कर देना चाहते है और ये कोई दुश्मन देश के हमलावर है ! जो हम इस तरह कतलें का दोर चलाये.अगर इतना ही सोख है तो कश्मीर है चीन है वहा क्यों हवाई हमले नहीं करते है .क्या भारत के गरीब माओवादी ये लोग कही समस्या से पीड़ित है शिक्षण,आरोग्य,यातायात,रोजगार,खेती,पानी,सब समस्या से जुड़े ये लोगो ने और एक समस्या सामने आ गई है .और वो है बहुराष्ट्रीय कंपनी के मालिक ने सरकार की मदद से जमीन और जंगलो पर कब्ज़ा शरू किया है.वही शोषित नीति ने जन्म दिया जो भारत मे माओवाद और नक्सलवाद से जाना जाता है और वही एक नक्सलवादी नेता की सरकार मे भाजपा सामिल है.शायद नेता और अधिकारी लोगो को जो सुख सुविधा मिलती है इन ग़ाव वाले नहीं मिलती है.इस लिए सरकार के सामने जंग छेड़ी गई और वो जंग को नक्सलवाद या माओवाद नाम दिया गया.अगर लड़ाई लड़ना ही है तो माओवादी से नहीं परन्तु माओवादी विचारधारा से जंग लड़ो और ये लोग मरेंगे उन मे गाव के गरीब लोगो की संख्या ज्यादा होगी .नहीं के उन शोषण खोर अधिकारी और नेता की क्यों के वो लोग सिर्फ वातानुकूलित कमरे मे बैठकर बात करने वाले लोग है .इधर ये लड़ाई ऐसी है जिस मे मरता भी भारत है और मारता भी भारत है.भारत मे अभी भी वक़्त है के ये विचारधारा को विचारधारा से रोका जय नहीं के हथियार के बल पर क्यों के हथियार का रास्ता बाहरी दुश्मन के लिए है नहीं के हमारे ही भाई के लिए.आज तक लड़ाई की बात करने वाले नेता भारत मे कही घोटाले के अन्दर सामिल है .क्यों के माओवादी लड़ाई माँ आनेवाले समय मे इन लोगो को ही ज्यादा भुगतना पड़ेगा इस लिए मारने पे उतर आये है.और मे तो चाहता हु आप देश को संभल नहीं पाते है तो उन माओवादी को सरकार का गठन करने के लिए आमंत्रित क्यों नहीं करते हो आजतक भारत के लोकतंत्र ने पूंजीवाद को बढ़ावा देने के आलावा और कम ही क्या किया है ? आज भारत का ऐक लोकतान्त्रिक देश है यहाँ लोकतान्त्रिक भाषा का इस्तमाल करना चाहिए नहीं के मरने मरने की मरना और मरना कोई समस्या का समाधान नहीं है .और इन गरीब लोग जो आज भारत के नक्सलवादी बन गए है और उनका क्षेत्र और प्रभाव और भी बढ़ रहा है ये चीज का कारण हमारी नीति है.जो उद्योगपति की नीति के लिए तैयार की गई है .हमें नीति बदलना पड़ेगा नहीं के हथियार हथियर उन लोगो के पास भी है और वो लोग वाही चाहते है क्यों के सरकार सेना की मदद से हमले ज्यादा करेगी उतना ही वो लोग ज्यादा नफरत फैलेगी और लोग और नफरत के भावना जन्म लेंगी जो ज्यादा नक्सलवादी को जन्म देंगी ...
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
bahut khub likha aapne...shabd bhi kam hai mere paas tareef karne ko...
जवाब देंहटाएंI like ur passion. god bless u my friend.
haan, bilkul sahi kahaa aap ne. koi bhi samshya hinsha se solve nahi ho sakti.. jarury hai ke baat chit se sahi samsya ko jane or usse door kare..
जवाब देंहटाएंछत्तीसगढ़ में मओवादियो द्वारा जिन जवानो की हत्या
जवाब देंहटाएंकी गयी क्या वे पूंजीपति वर्ग का प्रतिनिधित्व करते
थे? आप मओवादियो को सरकार का गठन करने के लिए
सामिल होने की बात करते है तो मार्ग आपके लिए भी
खुला हुआ है चुनाव में भाग लेने का. बंगाल में
तो इसी विचारधारा की सरकार पिछले ३५ वर्षो से है
अगर वे इतने इमानदार है अपनी विचारधारा के प्रति
तो अब खुद वे सतारूढ़ दल के विरोधी क्यों हो गए
और उनके बारे में अब कहा जाने लगा है की उन्होंने
ममता बनर्जी से हाथ मिला ली.
मै आपसे उम्र और अनुभव दोनों में कम हूँ! मै मानता हूँ की गरीब आदिवासियौं ने अपने हक़ और सम्मान की लड़ाई के लिय हथियार उठाया किन्तु वो नाक्साली दौर का आरम्भ था आज सब कुछ बदल गया है! वो अपने मार्ग से भटक गये हैं और किसी भी तरह सत्ता को हासिल करना चाहते हैं!
जवाब देंहटाएंवों निर्दयी है !!
अगर ऐसा ना होता तो उनके ही जनजाति के लोग उनके खिलाफ सलवा झुदुम जैसा अभियान क्यूँ चलाते!!आज वो अपने प्रभाव वाले इलाके में तिरंगा क्यूँ नही लहराने देते २६ जनवरी क्यूँ नही मनाते क्यूंकि उन्हें पैसे और हथियार दुश्मन देश देता है!! उन्हें भारत माँ के दुश्मनों से भी हाथ मिलाने में कोई शर्म नही आयी!! अरे मारना ही है तो भ्रस्त नेताओं को मरो फिर हम भी तम्हारे साथ है,उन नौकर शाहों कों मरो जो गरीबो का पैसा खा जाते है!! उन बेचारे ७६ जवानों की हत्या क्यूँ की इसका जवाब है आपके पास!!
बैठकर ब्लॉग लिखना बहुत आसान है मिस्टर बदलना है तो इस तंत्र कों बदलो फिर हम भी तम्हारे साथ है!!
पर जब तक हमारे जैसे युवा हैं हम भारत माँ के हर जख्म का बदला लेंगे!!
-भारत माता की जय
ghost rider ''Love India or Leave India''
9305907043